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- Dec 12, 2024
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ये इन्सिडेंट मेरे साथ तब हुआ था जब मेरी पहली कहानी मैने एक पोर्टल पर पब्लिश की थी और काफ़ी रेस्पॉन्सस आए थे और लोगों ने पसंद किया था. इसमे आप जाँएंगे कैसे मैने एक मस्त शादीशुदा भाभी को 28 घंटों तक ट्रेन के 1एसी मे दबा-दबा कर छोड़ा था. तो उसमे काफ़ी भाभियों और महिलाओं के मेसेजस आए थे प्रशंसा करने के लिए, जिसमे से एक महिला मुझसे डेस्परेट्ली बात करना चाहती थी और बॅक-तो-बॅक एमाइल भेजे पढ़ी थी. तो आमेडबॅड मे ही जॉब करती थी और बनारस से थी. उनका डाइवोर्स हो चुका था.
तो हमारी बात शुरू हुई, फिर उन्होने नंबर दिया और कॉल पर धीरे-धीरे बात होने लगी. उन्होने मेरे पस्त एक्सपीरियेन्स को कॉल पर 1-2 घंटे सुना और खूब गरम होती. मैं वडोदरा मे रहता था, तो दोस्तो अब मुझे बहुत अजीब लगता है किसी महिला को सामने से बोलना मिलने के लिए, दर्र लगता है कहीं जो थोड़ी बहुत बात हो रही है वो भी ना बंद हो जाए. तो उन्होने मुझे कहा की मेरा मिलने का मॅन नहीं करता क्या. बाकी कोई होता तो अब तक तो ऑफर दे चुका होता कितनी बार, तो मैने कहा की, “मुझसे नहीं पूछा जाता, आप कंफर्टबल होंगी तो खुद ही बोलॉगे.”
तो 1 हफ्ते बाद उन्हे बनारस जाना था किसी काम से और मुझे नही प्रयगराज निकलना था कुछ दीनो मे. तो डिसाइड किया की साथ चलते हैं. अब टिकेट उन्होने कहा करवाएगी, मैं तो स्टूडेंट ज़्यादा से ज़्यादा 3र्ड एसी मे करवाता, पर वो जो भी प्लान कर रही हो उन्होने मस्त 1स्ट्रीट एसी का सेपरेट कॉमपार्टमेंट मे टिकेट करवाई.
दोस्तो फोन पर बहुत बातें होती थी हमारी, अब मैने उन्हे देखा नहीं था तो उनके फिगर के बारे मे बता नहीं सकता अभी, आयेज खुद बटुंगा. तो हम लोग फोन पर खूब नों-वेग बाते करते, एक दूं कंफर्टबल हो चुके थे, उन्होने पूरा अपनी तरफ मुझे बातों से ही आकर्षित कर लिया था, फिर वो आमेडबॅड से चढ़ि और मैं वडोदरा उनका वेट किया.
मैं जैसे ही अपने डिब्बे और कॅबिन मे घुसा, तो मेरे चेहरे पर अलग ही चमक आ गयइ. दोस्तो क्या बतौ, एक दूं जन्नत की पारी जैसी गोरी, खूब सुंदर, लंबे बाल, और सारी पहेना था, 36 के चुचे, बाहर आने को तरस रहे थे, गांद मे भी एक दूं बराबर, ना ज़्यादा निकली ना अंदर, मस्त. कोई भी देखेलता तो लंड पर हाथ रख लेता.
अब मैने अभी तक कभी फेस किया नहीं था उनका तो दर्र रहा था, लेकिन दोस्तो, आपको भले लग रहा हो ये सब झूठ है, पर मेरी अपनी कहानी और रियल-लाइफ इन्सिडेंट है, मानणना है तो मानो वरना गांद मरवओ पर मेरे साथ तो हुआ है. मेरा दर्र भाभी ने खुद ही भगा दिया. मैने अडीडस का ट्रॅक सूट पहेना था बिकॉज़ ट्रॅवेल मे कंफर्टबल रहता है. जैसे ही अंदर घुसा और समान रखके कॅबिन लॉक किया, बिना कुछ हेलो किए, भाभी पहले आकर मेरे होंठो पर एक जोरदार का किस दिया. और बोली की, “अब शायद तुम कंफर्टबल रहोगे.” मैने कहा, “मुझे कंफर्टबल करके आपने ग़लती कर दी. अब आप पूरे रास्ते सू नहीं पाएँगी.” वो बोली, “मंजूर है.”
ओर मैं फिर उन्हे चूमने लगा. ओर दोस्तो मैं चुचो का बहुत शौकीन हू, तो आब्वियस्ली चुचे उनके मैने तुरंत नाप लिए. एक हाथ उनके ब्लाउस मे डालकर अंदर के फील्ड का मुआयना कर लिया. जैसे ही मैं ब्लाउस उतारने लगा, भाभी पीछे हट गयइ, और चिढ़ने के अंदाज़ मे बोली, “अभी रहो, इतनी जल्दी क्या है?” ओर मैं पागला चुका था, मैं भी उत्तर प्रदेश का पंडित, मैने कहा, “ठीक है, चिढ़ा लो, शुरुआत है, कुछ देर मे अपने आप हाथ जोड़ने लगोगी.”
फिर हम बैठे, खिड़की का परदा भाभी पहले ही लगा चुकी थी और अपना बाग रख दिया था खिड़की की साइड, की अंदर से दिखे ना कुछ. हम दोनो बैठे, और मैने भाभी के कंधे से हाथ नीचे रखकर उनके ब्लाउस मे डाल दिया और हम बात करने लगे. मैं नीचे लोवर पहेना रखा था और उसके अंदर बॉक्सर्स. भाभी ने लोवर और जॅकेट उतरवा दिया और मैं स्पोर्ट बॉक्सर और त-शर्ट मे बैठ गया. मैं भाभी के ब्लाउस मे हाथ डालकर दबा रहा था और भाभी मेरे बॉक्सर्स मे हाथ डालकर मेरे लंड से खेल रही थी.
हुँने काफ़ी बात की, और थोड़ी देर मे अंधेरा हो गया. भाभी ने पूछा, “खाना खा लेते हैं?” मैने कहा, “मैं आपको खाने आया हूँ, खाना से मेरी भूख शांत नहीं होगी.” भाभी बोली, “मुझसे ज़्यादा भूखा नहीं होगा तू.” फिर हुँने डिन्नर किया और हसके बाद डब्बे मे भी लगभग सब अंदर हो चुके थे और टीटी आया था तो हुँने चेक भी करवा दिया था. लगभग 08:30 के बाद जब लाइट्स ऑफ हुई तो हमारी बत्ती चालू हुई.
मैं अब पूरा कंफर्टबल हो चुका था. भाभी तो पैदा ही कंफर्टबल हुई थी, एक दूसरे के बारे मे हुँने बात कर ली थी पहले ही बेसिक जानकारी. अब बस ह्यूम हमारे शरीर का मिलन करना था.
मैं अब सारे सामान उपर शिफ्ट करके, खिड़की को धक कर, कॅबिन आचे से लॉक करके, लाइट ऑफ करके, रेडी हुआ और बैठा. मेरा लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था, बॉक्सर मे तंबू बना हुआ था, और भाभी भी बीच-बीच मे उससे खेल लेती थी. मैं जैसे ही बैठा, पानी पिया, फिर भाभी मेरी गोद मे आकर बैठी और किस करने लगी. अब हमारा प्रोग्राम चालू.
मैं और भाभी पागल कुत्टो की तरह चूमन शुरू किए एक दूसरे को. भाभी ने मेरी त-शर्ट उतार दी. मैं भाभी का पल्लू साइड करके उनके चुचे को दबाए पड़ा था. ऐसा दबा रहा था की चुचे आधे ब्लाउस के बाहर आ रहे थे. फिर भाभी ने सिग्नल दिया तो मैने भाभी का ब्लाउस उतारके साइड मे फेका और ब्रा पर हाथ रखकर दबोचने लगा. भाभी मेरे बालो मे हाल डालकर मुझे पागलो की तरह चूम रही थी. पूरा मूह, नाक, आख, गला, माता सब. त-शर्ट उतारकर च्चती तक किस.
मेरा हाथ उनके चुचो को दबाए पड़ा था, ब्रा के उपर से ही मैने उनके चुचे लाल कर दिए. फिर पीछे से ब्रा के हुक खोलकर ब्रा उतार फेकि, और भाभी के चुचे एकद्ूम से उच्छालकर मेरे सामने आ गये. भाभी मेरा मूह देखने लगी और स्माइल दी. फिर ज़ोर से मेरा मूह पकड़के, अपने चुचो मे दबाने लगी. 36 के चुचे मे मैं पूरा समा गया. इतनी तेज़ दबाने लगी की मेरी साँस तक नहीं आ रही थी.
पीर मैं दोनो हाथो से उनके चुचो को पकड़के चूसना शुरू कोया. उनके निपल को जैसे ही अपने मूह मे भरा, भाभी की “आआहह” निकल गयइ. एकद्ूम बच्चे की तरह मई उनके निपल चूसने लगा. “चुप चुप चुप” की आवाज़ आ रही थी. भाभी एकद्ूम मदहोश हो रही थी. अपना सर उपर करके आआही भर रही थी, “आअहह… उउउफफफफ्फ़… ईएसस्शह…” और मेरा सर दबा रही थी अपने चुचो पर.
फिर मैने दूसरे निपल को चूसना शुरू किया; काँसेकम 25 मिनिट्स मैने सिर्फ़ उनके चुचे चूसे. फिर उसके बाद वो बोली की, “बस कर, इन्हे खा जाएगा क्या?” मैने कहा, “भाभी खा ही जौंगा आज.” उनके साथ दोनो चुचे लाल एकद्ूम और सूझ गये थे.
फिर भाभी उठी मेरी गोद से और अपनी सारी उतारके पेटिकोट के आ गयइ. मैने पूछा की, “आप सारी पहेंके क्यू आई हो? रास्ते के कुछ और पहें लेती.” तो बोली की, “सुहग्रात मे तो सारी ही पहेनूँगी ना?” मैने कहा, “हाअ, ट्रेन मे सुहग्रात…” फिर दोनो हसके एक दूसरे को किस किया.
उन्होने मेरे बॉक्सर को नीचे करके लंड को बाहर किया; देखकर थोड़ी खुश हुई और संतुष्टि जनक साँस भारी. फिर घुटनो पर बैठ गयइ, और दोनो चुचो के बीच मेरे लंड को फसकर रगड़ने लगी. मैं अभी अब मदहोश होने लगा, और फिर भाभी ने अपने हाथ को मेरे लंड मे जकड़कर उसपे टोपा उपर-नीचे करने लगी, और जीभ लगाने लगी. मैं भी एकद्ूम पागल होने लगा. फिर भाभी ने किस और जीभ से छ्चाटना सुरू किया तेज़-तेज़, और पूरा लंड मूह मे लिया. बड़े चाअव से भाभी मेरे लंड को चूसने लगी एक दूं प्रोफेशनल की तरह.
तकरीबन 20 मिनिट्स चूसने के बाद जब मेरे लंड से हल्का-हल्का पानी आने लगा तो भाभी ने हॅंजब देना शुरू किया और बोली, “जब झड़ना तो मेरे मूह मे लंड डाल देना.” मैं भी 7-8 मिनिट्स बाद झड़ने वाला हुआ तो भाभी का मूह पकड़कर अपने लंड को घुसा दिया उसमे और झाड़ गया. भाभी ने पूरा लंड चाट-चाट के पी गयइ और सॉफ कर दिया.
अब भाभी मेरे बगल मे बैठ गयइ, और पानी पिया दोनो ने. अब मैं नीचे बैठा और भाभी के पेटिकोट को उपर करके उनके छूट को फैलने लगा; भाभी की पनटी उतारके फेक दी. भाभी एक दूं क्लीन शेव करके आई थी, ना तो पूरी काली थी और ना फिर लाल. फिर मैने बिना देरी किए अपना मूह उनकी छूट पर रखकर चाटने लगा ज़ोर-ज़ोर से. अपनी पूरी जीभ अंदर डाल देता. फिर कभी उंगली, भाभी मेरा सर पकड़के अपनी छूट मे घुसती.
18-20 मिनिट्स बाद भाभी ने ज़ोर से मेरे सर को पकड़कर अपनी छूट मे दबाया और पानी छ्चोड़ दिया. मैं पूरा पानी छत कर गया.
भाभी ज़ोर-ज़ोर से साँस लेने लगी और लेट गयइ, मैं भी के उपर लेटकर उनके किस किया और उनके मम्मो से खेलने लगा. कुछ देर मे भाभी बोली की, “अब डाल दे लंड; रहा नहीं जेया रहा.” मैं कॉंडम ले रखा था, पर जब निकालने गया तो भाभी ने माना किया और बोला, “ऐसे ही करो.” तो मैने अपना लंड भाभी के मुहमे डालकर तोड़ा गीएला किया और उनकी छूट पर अपना सुपरा रखकर रगड़ने लगा. भाभी एकद्ूम बेचैन होने लगी, और चिल्लाने लगी की, “डाल जल्दी, डाल!!!”
मैने कुछ देर उनको तडपया फिर दया आ गयइ. मैने एक बार मे ही अपना पूरा लंड उनकी छूट मे डाल दिया. भाभी की आँखे बाहर आ गयइ और मुझे खींचकर चिपका ली और जाकड़ लिया. 1-2 मिनिट्स छिपकने के बाद भाभी कुछ नॉर्मल हुई तो मैने लंड बाहर निकाला और फिर अंदर-बाहर करना चालू किया. मैने भाभी की दोनो टाँगो को अपने कंधे पर रखा और सीट के साइड मे अपना सूटकेस था; भाभी की गांद को सूटकेस मे ओ आधी बॉडी सीट पर. भाभी की टाँगो को अपने कंधो पर रखा और छोड़ना चालू रखा. करीब 25 मिनिट्स बाद मैं झड़ने वाला था तो पुचछा, “कहा लॉगी?” तो बोली, “मूह मे.” तो फिर अचानक से भाभी कौताया और अपना लंड उनके मूह मे डालकर झाड़ गया.
फिर मैं लेट गया और भाभी मेरे उपर चिपक कर लेट गयइ. भाभी के चुचो मेरे सीने से चिपके थे. करीब आधे घंटे बाद मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा. भाभी मे भी एनर्जी बची थी. इतना करते करीब 1 बाज गया था. भाभी कुरती और जीन्स मे और कंताप लग रही थी. मैने छाई पीकर भाभी को गोद मे उठाया और किस करने लगा; कुरती उत्ारदी, और फिर हुँने लगभग 1 घंटे रोमॅन्स और चुदाई की.
फिर हमारा स्टेशन आया और हम उतरे. वापसी भी कुछ दीनो बाद हम इससे ही साथ लौट थे चुदाई करके.
आज भी मैं उनसे मिलने आमेडबॅड जाता रहता हूँ. और काफ़ी आक्ची बॉन्ड बन गयइ है हमारी.
तो हमारी बात शुरू हुई, फिर उन्होने नंबर दिया और कॉल पर धीरे-धीरे बात होने लगी. उन्होने मेरे पस्त एक्सपीरियेन्स को कॉल पर 1-2 घंटे सुना और खूब गरम होती. मैं वडोदरा मे रहता था, तो दोस्तो अब मुझे बहुत अजीब लगता है किसी महिला को सामने से बोलना मिलने के लिए, दर्र लगता है कहीं जो थोड़ी बहुत बात हो रही है वो भी ना बंद हो जाए. तो उन्होने मुझे कहा की मेरा मिलने का मॅन नहीं करता क्या. बाकी कोई होता तो अब तक तो ऑफर दे चुका होता कितनी बार, तो मैने कहा की, “मुझसे नहीं पूछा जाता, आप कंफर्टबल होंगी तो खुद ही बोलॉगे.”
तो 1 हफ्ते बाद उन्हे बनारस जाना था किसी काम से और मुझे नही प्रयगराज निकलना था कुछ दीनो मे. तो डिसाइड किया की साथ चलते हैं. अब टिकेट उन्होने कहा करवाएगी, मैं तो स्टूडेंट ज़्यादा से ज़्यादा 3र्ड एसी मे करवाता, पर वो जो भी प्लान कर रही हो उन्होने मस्त 1स्ट्रीट एसी का सेपरेट कॉमपार्टमेंट मे टिकेट करवाई.
दोस्तो फोन पर बहुत बातें होती थी हमारी, अब मैने उन्हे देखा नहीं था तो उनके फिगर के बारे मे बता नहीं सकता अभी, आयेज खुद बटुंगा. तो हम लोग फोन पर खूब नों-वेग बाते करते, एक दूं कंफर्टबल हो चुके थे, उन्होने पूरा अपनी तरफ मुझे बातों से ही आकर्षित कर लिया था, फिर वो आमेडबॅड से चढ़ि और मैं वडोदरा उनका वेट किया.
मैं जैसे ही अपने डिब्बे और कॅबिन मे घुसा, तो मेरे चेहरे पर अलग ही चमक आ गयइ. दोस्तो क्या बतौ, एक दूं जन्नत की पारी जैसी गोरी, खूब सुंदर, लंबे बाल, और सारी पहेना था, 36 के चुचे, बाहर आने को तरस रहे थे, गांद मे भी एक दूं बराबर, ना ज़्यादा निकली ना अंदर, मस्त. कोई भी देखेलता तो लंड पर हाथ रख लेता.
अब मैने अभी तक कभी फेस किया नहीं था उनका तो दर्र रहा था, लेकिन दोस्तो, आपको भले लग रहा हो ये सब झूठ है, पर मेरी अपनी कहानी और रियल-लाइफ इन्सिडेंट है, मानणना है तो मानो वरना गांद मरवओ पर मेरे साथ तो हुआ है. मेरा दर्र भाभी ने खुद ही भगा दिया. मैने अडीडस का ट्रॅक सूट पहेना था बिकॉज़ ट्रॅवेल मे कंफर्टबल रहता है. जैसे ही अंदर घुसा और समान रखके कॅबिन लॉक किया, बिना कुछ हेलो किए, भाभी पहले आकर मेरे होंठो पर एक जोरदार का किस दिया. और बोली की, “अब शायद तुम कंफर्टबल रहोगे.” मैने कहा, “मुझे कंफर्टबल करके आपने ग़लती कर दी. अब आप पूरे रास्ते सू नहीं पाएँगी.” वो बोली, “मंजूर है.”
ओर मैं फिर उन्हे चूमने लगा. ओर दोस्तो मैं चुचो का बहुत शौकीन हू, तो आब्वियस्ली चुचे उनके मैने तुरंत नाप लिए. एक हाथ उनके ब्लाउस मे डालकर अंदर के फील्ड का मुआयना कर लिया. जैसे ही मैं ब्लाउस उतारने लगा, भाभी पीछे हट गयइ, और चिढ़ने के अंदाज़ मे बोली, “अभी रहो, इतनी जल्दी क्या है?” ओर मैं पागला चुका था, मैं भी उत्तर प्रदेश का पंडित, मैने कहा, “ठीक है, चिढ़ा लो, शुरुआत है, कुछ देर मे अपने आप हाथ जोड़ने लगोगी.”
फिर हम बैठे, खिड़की का परदा भाभी पहले ही लगा चुकी थी और अपना बाग रख दिया था खिड़की की साइड, की अंदर से दिखे ना कुछ. हम दोनो बैठे, और मैने भाभी के कंधे से हाथ नीचे रखकर उनके ब्लाउस मे डाल दिया और हम बात करने लगे. मैं नीचे लोवर पहेना रखा था और उसके अंदर बॉक्सर्स. भाभी ने लोवर और जॅकेट उतरवा दिया और मैं स्पोर्ट बॉक्सर और त-शर्ट मे बैठ गया. मैं भाभी के ब्लाउस मे हाथ डालकर दबा रहा था और भाभी मेरे बॉक्सर्स मे हाथ डालकर मेरे लंड से खेल रही थी.
हुँने काफ़ी बात की, और थोड़ी देर मे अंधेरा हो गया. भाभी ने पूछा, “खाना खा लेते हैं?” मैने कहा, “मैं आपको खाने आया हूँ, खाना से मेरी भूख शांत नहीं होगी.” भाभी बोली, “मुझसे ज़्यादा भूखा नहीं होगा तू.” फिर हुँने डिन्नर किया और हसके बाद डब्बे मे भी लगभग सब अंदर हो चुके थे और टीटी आया था तो हुँने चेक भी करवा दिया था. लगभग 08:30 के बाद जब लाइट्स ऑफ हुई तो हमारी बत्ती चालू हुई.
मैं अब पूरा कंफर्टबल हो चुका था. भाभी तो पैदा ही कंफर्टबल हुई थी, एक दूसरे के बारे मे हुँने बात कर ली थी पहले ही बेसिक जानकारी. अब बस ह्यूम हमारे शरीर का मिलन करना था.
मैं अब सारे सामान उपर शिफ्ट करके, खिड़की को धक कर, कॅबिन आचे से लॉक करके, लाइट ऑफ करके, रेडी हुआ और बैठा. मेरा लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था, बॉक्सर मे तंबू बना हुआ था, और भाभी भी बीच-बीच मे उससे खेल लेती थी. मैं जैसे ही बैठा, पानी पिया, फिर भाभी मेरी गोद मे आकर बैठी और किस करने लगी. अब हमारा प्रोग्राम चालू.
मैं और भाभी पागल कुत्टो की तरह चूमन शुरू किए एक दूसरे को. भाभी ने मेरी त-शर्ट उतार दी. मैं भाभी का पल्लू साइड करके उनके चुचे को दबाए पड़ा था. ऐसा दबा रहा था की चुचे आधे ब्लाउस के बाहर आ रहे थे. फिर भाभी ने सिग्नल दिया तो मैने भाभी का ब्लाउस उतारके साइड मे फेका और ब्रा पर हाथ रखकर दबोचने लगा. भाभी मेरे बालो मे हाल डालकर मुझे पागलो की तरह चूम रही थी. पूरा मूह, नाक, आख, गला, माता सब. त-शर्ट उतारकर च्चती तक किस.
मेरा हाथ उनके चुचो को दबाए पड़ा था, ब्रा के उपर से ही मैने उनके चुचे लाल कर दिए. फिर पीछे से ब्रा के हुक खोलकर ब्रा उतार फेकि, और भाभी के चुचे एकद्ूम से उच्छालकर मेरे सामने आ गये. भाभी मेरा मूह देखने लगी और स्माइल दी. फिर ज़ोर से मेरा मूह पकड़के, अपने चुचो मे दबाने लगी. 36 के चुचे मे मैं पूरा समा गया. इतनी तेज़ दबाने लगी की मेरी साँस तक नहीं आ रही थी.
पीर मैं दोनो हाथो से उनके चुचो को पकड़के चूसना शुरू कोया. उनके निपल को जैसे ही अपने मूह मे भरा, भाभी की “आआहह” निकल गयइ. एकद्ूम बच्चे की तरह मई उनके निपल चूसने लगा. “चुप चुप चुप” की आवाज़ आ रही थी. भाभी एकद्ूम मदहोश हो रही थी. अपना सर उपर करके आआही भर रही थी, “आअहह… उउउफफफफ्फ़… ईएसस्शह…” और मेरा सर दबा रही थी अपने चुचो पर.
फिर मैने दूसरे निपल को चूसना शुरू किया; काँसेकम 25 मिनिट्स मैने सिर्फ़ उनके चुचे चूसे. फिर उसके बाद वो बोली की, “बस कर, इन्हे खा जाएगा क्या?” मैने कहा, “भाभी खा ही जौंगा आज.” उनके साथ दोनो चुचे लाल एकद्ूम और सूझ गये थे.
फिर भाभी उठी मेरी गोद से और अपनी सारी उतारके पेटिकोट के आ गयइ. मैने पूछा की, “आप सारी पहेंके क्यू आई हो? रास्ते के कुछ और पहें लेती.” तो बोली की, “सुहग्रात मे तो सारी ही पहेनूँगी ना?” मैने कहा, “हाअ, ट्रेन मे सुहग्रात…” फिर दोनो हसके एक दूसरे को किस किया.
उन्होने मेरे बॉक्सर को नीचे करके लंड को बाहर किया; देखकर थोड़ी खुश हुई और संतुष्टि जनक साँस भारी. फिर घुटनो पर बैठ गयइ, और दोनो चुचो के बीच मेरे लंड को फसकर रगड़ने लगी. मैं अभी अब मदहोश होने लगा, और फिर भाभी ने अपने हाथ को मेरे लंड मे जकड़कर उसपे टोपा उपर-नीचे करने लगी, और जीभ लगाने लगी. मैं भी एकद्ूम पागल होने लगा. फिर भाभी ने किस और जीभ से छ्चाटना सुरू किया तेज़-तेज़, और पूरा लंड मूह मे लिया. बड़े चाअव से भाभी मेरे लंड को चूसने लगी एक दूं प्रोफेशनल की तरह.
तकरीबन 20 मिनिट्स चूसने के बाद जब मेरे लंड से हल्का-हल्का पानी आने लगा तो भाभी ने हॅंजब देना शुरू किया और बोली, “जब झड़ना तो मेरे मूह मे लंड डाल देना.” मैं भी 7-8 मिनिट्स बाद झड़ने वाला हुआ तो भाभी का मूह पकड़कर अपने लंड को घुसा दिया उसमे और झाड़ गया. भाभी ने पूरा लंड चाट-चाट के पी गयइ और सॉफ कर दिया.
अब भाभी मेरे बगल मे बैठ गयइ, और पानी पिया दोनो ने. अब मैं नीचे बैठा और भाभी के पेटिकोट को उपर करके उनके छूट को फैलने लगा; भाभी की पनटी उतारके फेक दी. भाभी एक दूं क्लीन शेव करके आई थी, ना तो पूरी काली थी और ना फिर लाल. फिर मैने बिना देरी किए अपना मूह उनकी छूट पर रखकर चाटने लगा ज़ोर-ज़ोर से. अपनी पूरी जीभ अंदर डाल देता. फिर कभी उंगली, भाभी मेरा सर पकड़के अपनी छूट मे घुसती.
18-20 मिनिट्स बाद भाभी ने ज़ोर से मेरे सर को पकड़कर अपनी छूट मे दबाया और पानी छ्चोड़ दिया. मैं पूरा पानी छत कर गया.
भाभी ज़ोर-ज़ोर से साँस लेने लगी और लेट गयइ, मैं भी के उपर लेटकर उनके किस किया और उनके मम्मो से खेलने लगा. कुछ देर मे भाभी बोली की, “अब डाल दे लंड; रहा नहीं जेया रहा.” मैं कॉंडम ले रखा था, पर जब निकालने गया तो भाभी ने माना किया और बोला, “ऐसे ही करो.” तो मैने अपना लंड भाभी के मुहमे डालकर तोड़ा गीएला किया और उनकी छूट पर अपना सुपरा रखकर रगड़ने लगा. भाभी एकद्ूम बेचैन होने लगी, और चिल्लाने लगी की, “डाल जल्दी, डाल!!!”
मैने कुछ देर उनको तडपया फिर दया आ गयइ. मैने एक बार मे ही अपना पूरा लंड उनकी छूट मे डाल दिया. भाभी की आँखे बाहर आ गयइ और मुझे खींचकर चिपका ली और जाकड़ लिया. 1-2 मिनिट्स छिपकने के बाद भाभी कुछ नॉर्मल हुई तो मैने लंड बाहर निकाला और फिर अंदर-बाहर करना चालू किया. मैने भाभी की दोनो टाँगो को अपने कंधे पर रखा और सीट के साइड मे अपना सूटकेस था; भाभी की गांद को सूटकेस मे ओ आधी बॉडी सीट पर. भाभी की टाँगो को अपने कंधो पर रखा और छोड़ना चालू रखा. करीब 25 मिनिट्स बाद मैं झड़ने वाला था तो पुचछा, “कहा लॉगी?” तो बोली, “मूह मे.” तो फिर अचानक से भाभी कौताया और अपना लंड उनके मूह मे डालकर झाड़ गया.
फिर मैं लेट गया और भाभी मेरे उपर चिपक कर लेट गयइ. भाभी के चुचो मेरे सीने से चिपके थे. करीब आधे घंटे बाद मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा. भाभी मे भी एनर्जी बची थी. इतना करते करीब 1 बाज गया था. भाभी कुरती और जीन्स मे और कंताप लग रही थी. मैने छाई पीकर भाभी को गोद मे उठाया और किस करने लगा; कुरती उत्ारदी, और फिर हुँने लगभग 1 घंटे रोमॅन्स और चुदाई की.
फिर हमारा स्टेशन आया और हम उतरे. वापसी भी कुछ दीनो बाद हम इससे ही साथ लौट थे चुदाई करके.
आज भी मैं उनसे मिलने आमेडबॅड जाता रहता हूँ. और काफ़ी आक्ची बॉन्ड बन गयइ है हमारी.