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- Dec 12, 2024
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ये तब की बात है जब मेरे पड़ोसी रूम छ्होर क जा चुका था. उसके 10 दिन बाद किसी नये ने रूम ले लिया था, मैने नोटीस नही करा किसने लिया था क्यूंकी की मैं अपने ऑफीस जाने आने मे बिज़ी रहता था.
एक दिन शाम को ऑफीस से लौटा अपने रूम मे घुसा तो सामने वेल किरायेदार के वॉशरूम से किसी के नाहटे वक़्त “श आ” की आवाज़ आ रही थी. मुझे लगा कोई लड़का पॉर्न देख रा होगा. फिर एक शाम उसी वॉशरूम से नहाते वक़्त एक लड़की की आवाज़ आई के, “कब तक सिंगल रहूंगी? ये च्छुत कब से तड़प रही है च्छुद ने को?” तो मैं क्यूरियस होगआया जान ने को के सामने सछमे लड़की रहती है या लड़का.
फिर मैं उसके दरवाज़ा पे गया, नॉक! नॉक! दरवाज़ा खुला! दरवाज़े के साथ साथ मेरी आँखे भी खुली खुली रह गयी. फिर चुटकी बजके उसने मुझे पुकारा. फिर मैं देखा एक हॉट फेर स्किन, लोंग ब्लॅक बिखरे बाल लड़की मिनी शॉर्ट्स और एक्सपोसिंग डीप क्लीवेज टॉप मे थी, भाई फेर स्किन पे ब्लॅक लड़को जैसी बनियान टाइप टॉप. मैने कहा, “मुझे चीनी चाहिए थोड़ी सी.” फिर उसने दिया और मैं वाहा से चला आया.
फिर एक दिन उसके वॉशरूम से आवाज़ आई “ऑश अँह” और फ्रस्टरेटेड चिल्ला रही थी की, “छुउट तड़प रही है.” मैं भी मूड मे था तो मैं सीधा दरवाज़े पे गया उसके. उसने खोला दरवाज़ा. वो टवल मे थी और उसके गोरे बदन पे मोटी जैसे पानी के बूंदे थी.
मे: मुझे एक ज़रूरी बात करनी है. क्या मैं अंदर आ सकता हू?
शी: हा.
मैं सोच कर आया था क सीएधा सेक्स क लिए पूछ लूँगा बुत जैसे ही कुछ बोलता वो बोली,
शी: एक मीं! इसे पहले तुम कुछ बोलो मुझे एक काम है.
मे: क्या?
नेक्स्ट पार्ट इतना शॉकिंग था; उसने अपना टवल गिरा दिया. उसके बड़े बड़े जवानी से भरे उसके चुचे, गोरा बदन और चुट्त भी गुलाबी. मेरा लंड वही पे खड़ा होगआया. वो मेरे उपर आकर ज़ोड से लिपट गयी और ज़ोरो शॉरो से दोनो मे फ्रेंच किस चलने लगी.
उसके गुलाबी होंठ पानी से भीगे क्या ही मुलायम, उसके जीब मेरे जीब से जैसे कबाड़ी खेल रहे हो. मेरे बालो को उसने कस्स क पकरा हुआ था जैसे प्यासा पानी पिता. मैं अपने हाथो से उसके भीगे बदन को समेटने का नाकाम कोशिश करता रहा. उसके बदन जैसा समंदर कितने भी हाथ फेरू मॅन भर ही नही रहा था, उल्टा हवस बढ़ते जेया रही थी.
मेरी आँखें बंद थी, फिर अचानक कुछ फटने की आवाज़ आई, आँखें खोली मैने तो देखा उसने मेरा त-शर्ट फाड़ क उतार फेका. और अब मैं और उसका नंगा भीगा बदन एक दूसरे मिल गये और जैसे आग सी लग गयी हो. फिर मैं अपने हहथो से उसके बड़े चुचो को खूब मसलता और अपने होठोसे उसके होंठ, उसका गाल, उसका गर्दन, उउस्के कंधे उसके छाती, उसके छुचे सब ख़ाता चबता और कटता जैसे जीवन मे ये पल ख़तम ही ना हो रा हो.
एकत्ो उसका भीगा बदन, उसकी सिसकारिया और मेरे काटने से उसका लाल बदन लग रा था जैसे आग लगने पे धुआ निकल रा हो, पर उसके से ज़्यादा आवाज़े तो मेरी अराही थी, क्यूंकी वो तो यूँ थी मानो जंगली बिल्ली मुझे नोच रही हो खा रही हो. लग रहा था हम दोनो एक दूसरे का जन्मो की प्यास मिटता रहे हो.
फिर उसने मुझे अपने बेड पे ढाका दिया फिर बोली, “अब तुम चुप लेट जाओ और कुछ नही करोगे.” उसने मेरा पंत उतरा, तो मेरा टन तनाता हुआ लंड 6 इंच का मोटा कला निकला. वो आँहें भरके बोली, “ज़िंदगी मे पहली बार लंड देख रही हू; प्लीज़ मुझे इसका मज़ा जी भर के लेने दो, बदले मे तुम जो चाहो वो करूँगी.”
आएसा कह कर उसने मेरा लंड सीधा मूह मे डीप ले लिया. उसपे थूका गिरा रही है फिर पूरा उपर नीचे छ्चात रही है. वो मेरे हर हिस्से को पूज रही थी. मेरा लंड, गोट्ते, गांद की लाइन यहाँ तक मेरे झांट तक चाट रही थी. पुर नशे मे जैसे थी. पुर आधे घंटे मेरे लंड गॉटा और गंद छाते चुस्ती रही जिसमे मैं टीन बार झारा और तीनो बार वो पी गयी मेरा स्पर्म.
अब मेरा मॅन उसका गुलाबी च्छुत्त चाटने का हुआ तो मैने उसे उसके बेड पर पटक कर कहा, “अब मेरी बरी.” भाई उसके गुलाबी चुट्त्त क्या ही सॉफ्ट और मुलायम, उसके गंद जैसे गुबारे, सारा चुस्सने मे मज़ा आ रहा था. जितना चट्टा ख़ाता, उतना ही वो चर्म सुखह से कांपति.
अब कहने लगी, “जो भी नाम है तुम्हारा, अब प्लीज़ घुसे दो.” फिर शुरू हुआ असली खेल. उसके छूट पे लंड लगाया मैने और ज़ोर से ढाका दिया; वो च्चीख उठी. मैने बोला, “सॉरी, दर्द हुआ तो.” वो बोली, “मदारचोड़, यही दर्द मुझे देते रह, समझा तू?” फिर मुझे कॉन्फिडेन्स आया और जो पलंग तोड़ छोड़ा मैने ये झटके पे झटके.
डॉगी, काउ गर्ल, मिशनरी सब करा हुँने. फिर वो मेरा लंड चाटने लगी अबकी बार मैने उसका सर पकड़ा और पूरा लंड उसके मूह मे तूस दिया और एक मिनिट तक तूसे रखा. उसका पूरा मुहह लाल होगआया था पर उससे मज़ा अरहा था.
फिर से छोड़ना शुरू हुआ. हम दोनो पसीने और चाटने क वजा से थूक से लत पाट थे. उसके पूरा बदन लाल होगआया था. फिर मैने बोला, “मेरा निकालने वाला है…” वो बोली, “मदारचोड़, एक बूँद भी ज़मीन पे नही गिरना चाहिए; सारा मेरे और चुचो पे आना चाहिए.”
मैने बोला, “निकालने वाला है.” तो वो सेधा लेट गयी बाहें फैला क. मैने आएसी धार मारी की सारा स्पर्म उसके मूह मे आँखों होतो और कुछ बालू और चुचो पे गया. वो पूरा खुश थी, जैसे चर्म सुखह पाया. मैं तो तक क बिस्तर पे लेट गया.
15 मिनिट बाद वो नहा कर आई. वो बोली, “तुम मासिया बन कर आए मेरे तड़प को बुझाया.” थॅंक्स बोली ओउर एक सॉफ्ट लीप किस दी. फिर जब मौका मिलता हम सेक्स करते पर एक महीने बाद वो चली गयी. हम दोनो बिज़ी होगआय है क दोनो बात तक नही कर पाते.
और फिर से एक दिन, मैने सोचा की कभी तो मिलना चाहिए. लेकिन उसके जाने के बाद, मेरी ज़िंदगी में एक खाली सा पंत उठ गया. मैं हर रोज़ उसकी याद में जी रहा था. उसके साथ बिताए हुए लम्हे मेरे दिमाग़ में चलते रहते थे. मैं सोचता था की क्या वो कभी वापस आएगी? क्या हम फिर से मिल सकेंगे?
एक दिन, मैने अपने दोस्त से बात की और उनसे पूछा की क्या वो उसके बारे में कुछ जानता है. उसने कहा की वो किसी और शहेर में शिफ्ट हो गयी है और अब वहाँ रह रही है. मुझे बहुत दुख हुआ, लेकिन मैने सोचा की ज़िंदगी तो चलती रहती है. मैं अपने काम में बिज़ी हो गया और धीरे धीरे उसकी याद कम हो गयी.
लेकिन कभी कभी, जब मैं अकेला होता हू, तो उसकी याद आती है. वो लम्हे, वो पल, वो रिश्ता जो हुँने साथ बिताया था. मैं सोचता हू की क्या कभी फिर से वो वापस आएगी और हम फिर से मिल सकेंगे. लेकिन पता नही, क्या होगा. ज़िंदगी की हर चीज़ एक मिस्टरी होती है, और इसमे से कुछ चीज़ें हुमेशा राज़ रहती हैं.
एक दिन शाम को ऑफीस से लौटा अपने रूम मे घुसा तो सामने वेल किरायेदार के वॉशरूम से किसी के नाहटे वक़्त “श आ” की आवाज़ आ रही थी. मुझे लगा कोई लड़का पॉर्न देख रा होगा. फिर एक शाम उसी वॉशरूम से नहाते वक़्त एक लड़की की आवाज़ आई के, “कब तक सिंगल रहूंगी? ये च्छुत कब से तड़प रही है च्छुद ने को?” तो मैं क्यूरियस होगआया जान ने को के सामने सछमे लड़की रहती है या लड़का.
फिर मैं उसके दरवाज़ा पे गया, नॉक! नॉक! दरवाज़ा खुला! दरवाज़े के साथ साथ मेरी आँखे भी खुली खुली रह गयी. फिर चुटकी बजके उसने मुझे पुकारा. फिर मैं देखा एक हॉट फेर स्किन, लोंग ब्लॅक बिखरे बाल लड़की मिनी शॉर्ट्स और एक्सपोसिंग डीप क्लीवेज टॉप मे थी, भाई फेर स्किन पे ब्लॅक लड़को जैसी बनियान टाइप टॉप. मैने कहा, “मुझे चीनी चाहिए थोड़ी सी.” फिर उसने दिया और मैं वाहा से चला आया.
फिर एक दिन उसके वॉशरूम से आवाज़ आई “ऑश अँह” और फ्रस्टरेटेड चिल्ला रही थी की, “छुउट तड़प रही है.” मैं भी मूड मे था तो मैं सीधा दरवाज़े पे गया उसके. उसने खोला दरवाज़ा. वो टवल मे थी और उसके गोरे बदन पे मोटी जैसे पानी के बूंदे थी.
मे: मुझे एक ज़रूरी बात करनी है. क्या मैं अंदर आ सकता हू?
शी: हा.
मैं सोच कर आया था क सीएधा सेक्स क लिए पूछ लूँगा बुत जैसे ही कुछ बोलता वो बोली,
शी: एक मीं! इसे पहले तुम कुछ बोलो मुझे एक काम है.
मे: क्या?
नेक्स्ट पार्ट इतना शॉकिंग था; उसने अपना टवल गिरा दिया. उसके बड़े बड़े जवानी से भरे उसके चुचे, गोरा बदन और चुट्त भी गुलाबी. मेरा लंड वही पे खड़ा होगआया. वो मेरे उपर आकर ज़ोड से लिपट गयी और ज़ोरो शॉरो से दोनो मे फ्रेंच किस चलने लगी.
उसके गुलाबी होंठ पानी से भीगे क्या ही मुलायम, उसके जीब मेरे जीब से जैसे कबाड़ी खेल रहे हो. मेरे बालो को उसने कस्स क पकरा हुआ था जैसे प्यासा पानी पिता. मैं अपने हाथो से उसके भीगे बदन को समेटने का नाकाम कोशिश करता रहा. उसके बदन जैसा समंदर कितने भी हाथ फेरू मॅन भर ही नही रहा था, उल्टा हवस बढ़ते जेया रही थी.
मेरी आँखें बंद थी, फिर अचानक कुछ फटने की आवाज़ आई, आँखें खोली मैने तो देखा उसने मेरा त-शर्ट फाड़ क उतार फेका. और अब मैं और उसका नंगा भीगा बदन एक दूसरे मिल गये और जैसे आग सी लग गयी हो. फिर मैं अपने हहथो से उसके बड़े चुचो को खूब मसलता और अपने होठोसे उसके होंठ, उसका गाल, उसका गर्दन, उउस्के कंधे उसके छाती, उसके छुचे सब ख़ाता चबता और कटता जैसे जीवन मे ये पल ख़तम ही ना हो रा हो.
एकत्ो उसका भीगा बदन, उसकी सिसकारिया और मेरे काटने से उसका लाल बदन लग रा था जैसे आग लगने पे धुआ निकल रा हो, पर उसके से ज़्यादा आवाज़े तो मेरी अराही थी, क्यूंकी वो तो यूँ थी मानो जंगली बिल्ली मुझे नोच रही हो खा रही हो. लग रहा था हम दोनो एक दूसरे का जन्मो की प्यास मिटता रहे हो.
फिर उसने मुझे अपने बेड पे ढाका दिया फिर बोली, “अब तुम चुप लेट जाओ और कुछ नही करोगे.” उसने मेरा पंत उतरा, तो मेरा टन तनाता हुआ लंड 6 इंच का मोटा कला निकला. वो आँहें भरके बोली, “ज़िंदगी मे पहली बार लंड देख रही हू; प्लीज़ मुझे इसका मज़ा जी भर के लेने दो, बदले मे तुम जो चाहो वो करूँगी.”
आएसा कह कर उसने मेरा लंड सीधा मूह मे डीप ले लिया. उसपे थूका गिरा रही है फिर पूरा उपर नीचे छ्चात रही है. वो मेरे हर हिस्से को पूज रही थी. मेरा लंड, गोट्ते, गांद की लाइन यहाँ तक मेरे झांट तक चाट रही थी. पुर नशे मे जैसे थी. पुर आधे घंटे मेरे लंड गॉटा और गंद छाते चुस्ती रही जिसमे मैं टीन बार झारा और तीनो बार वो पी गयी मेरा स्पर्म.
अब मेरा मॅन उसका गुलाबी च्छुत्त चाटने का हुआ तो मैने उसे उसके बेड पर पटक कर कहा, “अब मेरी बरी.” भाई उसके गुलाबी चुट्त्त क्या ही सॉफ्ट और मुलायम, उसके गंद जैसे गुबारे, सारा चुस्सने मे मज़ा आ रहा था. जितना चट्टा ख़ाता, उतना ही वो चर्म सुखह से कांपति.
अब कहने लगी, “जो भी नाम है तुम्हारा, अब प्लीज़ घुसे दो.” फिर शुरू हुआ असली खेल. उसके छूट पे लंड लगाया मैने और ज़ोर से ढाका दिया; वो च्चीख उठी. मैने बोला, “सॉरी, दर्द हुआ तो.” वो बोली, “मदारचोड़, यही दर्द मुझे देते रह, समझा तू?” फिर मुझे कॉन्फिडेन्स आया और जो पलंग तोड़ छोड़ा मैने ये झटके पे झटके.
डॉगी, काउ गर्ल, मिशनरी सब करा हुँने. फिर वो मेरा लंड चाटने लगी अबकी बार मैने उसका सर पकड़ा और पूरा लंड उसके मूह मे तूस दिया और एक मिनिट तक तूसे रखा. उसका पूरा मुहह लाल होगआया था पर उससे मज़ा अरहा था.
फिर से छोड़ना शुरू हुआ. हम दोनो पसीने और चाटने क वजा से थूक से लत पाट थे. उसके पूरा बदन लाल होगआया था. फिर मैने बोला, “मेरा निकालने वाला है…” वो बोली, “मदारचोड़, एक बूँद भी ज़मीन पे नही गिरना चाहिए; सारा मेरे और चुचो पे आना चाहिए.”
मैने बोला, “निकालने वाला है.” तो वो सेधा लेट गयी बाहें फैला क. मैने आएसी धार मारी की सारा स्पर्म उसके मूह मे आँखों होतो और कुछ बालू और चुचो पे गया. वो पूरा खुश थी, जैसे चर्म सुखह पाया. मैं तो तक क बिस्तर पे लेट गया.
15 मिनिट बाद वो नहा कर आई. वो बोली, “तुम मासिया बन कर आए मेरे तड़प को बुझाया.” थॅंक्स बोली ओउर एक सॉफ्ट लीप किस दी. फिर जब मौका मिलता हम सेक्स करते पर एक महीने बाद वो चली गयी. हम दोनो बिज़ी होगआय है क दोनो बात तक नही कर पाते.
और फिर से एक दिन, मैने सोचा की कभी तो मिलना चाहिए. लेकिन उसके जाने के बाद, मेरी ज़िंदगी में एक खाली सा पंत उठ गया. मैं हर रोज़ उसकी याद में जी रहा था. उसके साथ बिताए हुए लम्हे मेरे दिमाग़ में चलते रहते थे. मैं सोचता था की क्या वो कभी वापस आएगी? क्या हम फिर से मिल सकेंगे?
एक दिन, मैने अपने दोस्त से बात की और उनसे पूछा की क्या वो उसके बारे में कुछ जानता है. उसने कहा की वो किसी और शहेर में शिफ्ट हो गयी है और अब वहाँ रह रही है. मुझे बहुत दुख हुआ, लेकिन मैने सोचा की ज़िंदगी तो चलती रहती है. मैं अपने काम में बिज़ी हो गया और धीरे धीरे उसकी याद कम हो गयी.
लेकिन कभी कभी, जब मैं अकेला होता हू, तो उसकी याद आती है. वो लम्हे, वो पल, वो रिश्ता जो हुँने साथ बिताया था. मैं सोचता हू की क्या कभी फिर से वो वापस आएगी और हम फिर से मिल सकेंगे. लेकिन पता नही, क्या होगा. ज़िंदगी की हर चीज़ एक मिस्टरी होती है, और इसमे से कुछ चीज़ें हुमेशा राज़ रहती हैं.